सेवानिवृत्ति मील का एक पत्थर है यात्रा का अंत नहीं-ओपी दुबे

महारानी चिमनाबाई शाला स्टाफ ने श्री पंड्या को विदाई दी
देवास। शासकीय सेवक के जीवन में सेवानिवृत्ति एक अनिवार्य पड़ाव है। शिक्षक भी इससे अछूता नहीं है। सेवानिवृत्ति तो जीवन में एक क्षणिक ठहराव है। यहां से जीवन की अगली यात्रा प्रारंभ होती है। कह सकते हैं कि सेवानिवृत्ति मील का एक पत्थर है यात्रा का अंत नहीं। किंतुु मानव भाव प्रधान होता है इसलिए किसी का बिछड़ना हमें व्यथित कर देता है। उसमें भी प्रसून पंड्या जैसे शिक्षक जिन्होंने नवाचारों के कीर्तिमान रचे उन्हें बिदाई देना अत्यंत ही कठिन होता है। उनमें गणित पढ़ाने का जो जोश था उससे अधिक छात्राओं के सर्वांगीण विकास का जुनुन था। ऐसे शिक्षक बिरले ही होते हैं जो विद्यार्थियों में खो जाते हैं। महारानी चिमनाबाई शा.क.उ.मा.वि. देवास मे सेवानिवृत्त और स्थानांतरित शिक्षकों के लिये शाला स्टाफ की ओर से आयोजित बिदाई समारोह में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा मिशन के जिला समन्वयक ओ.पी.दुबे ने उक्त विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मैं नवागत शिक्षकों से आग्रह करता हूं कि आप लोग ऐसे शिक्षकों द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का प्रयास करें जिन्होंने नौकरी नहीं सेवा समझकर शिक्षा प्रदान की। इस अवसर पर स्थानांतरित शिक्षक आदिल पठान, राखी धाड़ी, अर्चना कहार, सविता पवार और सीमा कानूनगो को भी बिदाई दी गई। कार्यक्रम में हितेन्द्र यादव, दीपक यादव, संजय जोशी, राजेन्द्र वर्मा, वंदना जोशी ने भी अपने विचार व्यक्त कर सेवानिवृत्त एवं स्थानांतरित शिक्षकों के कार्यो का स्मरण किया। स्वागत भाषण डॉ. विनिता शर्मा ने दिया। सरस्वती वंदना डिलेश्वरी साहू ने प्रस्तुत की। अभिनंदन पत्र का वाचन नीलम पटेरिया ने किया। संचालन वृंदा शर्मा और भावना उपाध्याय ने किया। कार्यक्रम की रूपरेखा राजेश व्यास और नरेन्द्र शर्मा द्वारा तैयार की गई। स्वस्तिवाचन अनिल पंडत ने प्रस्तुत किया। आभार प्राचार्य रूचि व्यास ने व्यक्त किया।