शाजापुर

बस की आड़ में जानलेवा हमला: सरकारी तंत्र की लापरवाही से बाल-बाल बचा युवक, पुलिस ने नहीं लिखी रिपोर्ट


शाजापुर। (मक्सी) एक युवक पर उस वक्त जानलेवा हमला हुआ, जब वह रोज़ की तरह अपने घर लौट रहा था। आरोप है कि मनोज नामक व्यक्ति की बस की आड़ में पहले से योजना बनाकर लगभग आठ लोग हथियारों के साथ घात लगाए खड़े थे। जैसे ही पीड़ित पास पहुँचा, रामसिंह हनोतिया उर्फ रामाजी ने रस्सी से उसका गला लपेट लिया और ओमप्रकाश नामक आरोपी ने दोनों हाथों से गर्दन दबोच ली। पीड़ित के अनुसार, वह लगभग बेहोश हो गया था, जबान बाहर निकल आई थी और वह मरने जैसा हो गया था।

रामसिंह ने मौके पर कहा, “इसने हमारी रिपोर्ट की है, इसके हाथ-पैर तोड़ दो और जान से खत्म कर दो।” इसके बाद सभी आरोपियों – रामसिंह, ओमप्रकाश, संतोष, राजलबाई और अन्य चार रिश्तेदारों ने मिलकर उस पर लाठी-डंडों से बर्बर हमला किया।

हमले में पीड़ित को गंभीर चोटें आईं:

सिर पर गहरी चोट, जिससे खून बहा और टांके लगे
गर्दन, पीठ, कमर, हाथ, उंगलियों और पैरों पर लाठी से वार
दम घुटने जैसी स्थिति से हालत बिगड़ गई
पीड़ित ने बताया कि इस हमले की पूर्व में पूरी प्लानिंग थी। इससे पहले 15 फरवरी 2025 को भी इन्हीं आरोपियों ने शासकीय नाली में ईंट-पत्थर डालकर पानी का बहाव रोका था और आम रास्ता जाम किया था। उस समय पीड़ित की मां और बहन को गंदी गालियां दी गई थीं और उनके साथ मारपीट भी की गई थी। रिपोर्ट के लिए मक्सी थाने जाने पर भी कोई कार्रवाई नहीं की गई थी। 181 पर शिकायत करने के बाद भी मामला बंद करवा दिया गया।
हमले के बाद पीड़ित ने सुबह 09:53 पर थाना प्रभारी को फोन किया, लेकिन कोई रिस्पॉन्स नहीं मिला। झोकर बीट और अन्य पुलिस अधिकारियों को फोन करने पर भी मदद नहीं मिली। थक हारकर पीड़ित थाने पहुंचा, जहाँ रिपोर्ट दर्ज करने के बजाय पुलिस ने उससे विडियो डिलीट करने का दबाव डाला, शर्ट पकड़कर धमकाया और रिपोर्ट लिखने से मना कर दिया।
बाद में पुलिस अधीक्षक शाजापुर के पास पहुंचकर जब पीड़ित ने अपनी चोटें और हालत बताई तो उन्होंने आवेदन लेने और डॉक्टर को दिखाने के निर्देश दिए। हालांकि, घटना के घंटों बाद भी एफआईआर दर्ज नहीं हुई।
यह मामला न केवल एक सोची-समझी जानलेवा साजिश को दर्शाता है, बल्कि पुलिस प्रशासन की लापरवाही और पीड़ित के साथ अमानवीय व्यवहार को भी उजागर करता है। अब देखना होगा कि इस मामले में उच्च अधिकारियों द्वारा क्या सख्त कदम उठाए जाते हैं।

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