देवास

जिसने जिस भाव में चाहा श्री कृष्ण ने उसे उसी भाव में अपनाया – वंदना श्री


देवास। श्री कृष्ण की लीला अद्भुत लीला सुनी थी भागवत के मंच पर वासुदेव की लीला को देख कर श्रोताओं को मिले आनंद को शब्दों नहीं लिखा जा सकता। श्री कृष्ण ने सोलह हजार एक सो आठ रानियों से विवाह किया था, जिसमे 8 पटरानी थी। भगवान ने पहला विवाह रूखमणि का हरण कर विवाह किया।मणि चोरी के कलंक को मिटाने गए तो जामवंत की पुत्री जामवती के साथ हुआ, जामवंत से मिली मणि लेकर शत्राजीत को देने गए तो शत्राजीत ने अपनी बेटी सत्यभाव का विवाह कर मणि श्रीकृष्ण को दे दी। चौथा विवाह जमुना जी जिनका नाम कालिंदी  के साथ किया। पांचव विवाह उज्जैन में मित्रविंदा के साथ हुआ। छठा विवाह सत्या के साथ, सातवां विवाह भद्रा के और आठवां विवाह लक्ष्मना के साथ हुआ। भगवान की 16108 रानी से 10,10 पुत्र और एक एक पुत्रियों ने जन्म लिया। जिसने जिस भाव से चाहा श्री कृष्ण ने उसे उसी भाव में अपनाया है । यह वर्णन कैला देवी मंदिर में चौत्र नवरात्रि पर ही रही श्रीमद् भागवत कथा के विश्रांति दिवस पर ब्रजरत्न वंदना श्री ने व्यक्त करते हुए सुदामा चरित्र का वर्णन कर बताया कि सुदामा जी ने अपने जीवन किसी से भिक्षा नहीं ली यहां तक कि द्वारकाधीश से मिलने गए तो भी भगवान से कुछ नहीं मांगा। मगर  भगवान ने सब कुछ दे दिया। व्यास पीठ की पूजा मन्नूलाल गर्ग के परिवार ने की। आरती में देवास के अनेक गणमान्य उपस्थित थे। आज 9 अप्रैल को भक्त श्रीमाल की कथा शाम 4 बजे से होगी ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button