विश्वास के साथ की गई भक्ति कभी निष्फल नहीं होती-बृज रत्न वंदन श्री

देवास। भगवान भाव के भूखे है विदुर जी ने 12 वर्ष तक फल खाकर श्री कृष्ण की भक्ति सिर्फ इस भाव के साथ की कि एक दिन नारायण मेरे घर आकर भोजन करेंगे। उनकी पत्नी विदुराईन ने भगवान के दर्शन की इच्छा को लेकर भक्ति की। महाभारत की गाथा में कौरव के विनाश का कारण ईश्वर पर विश्वास नहीं करना था। विश्वास के साथ की गई भक्ति कभी निष्फल नहीं होती। पांडव के साथ कृष्ण का होना ही विश्वास है। यह आध्यात्मिक विचार चैत्र नवरात्रि में केलादेवी मंदिर में हो रही श्रीमद् भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर रासाचार्या बृजरत्न वंदना श्री ने व्यक्त करते हुए कथा में राजा परीक्षित के जन्म की कथा का वर्णन किया। महाभारत के पात्रों का कथा प्रसंग के अनुसार बहुत ही सुंदर चित्रण किया वृंदावन के रास संस्कृति सेवा संस्थान के बृज के कलाकारों ने सुंदर अभिनय कर कर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। लीलामय भागवत कथा के दृश्य श्रोताओं को आकर्षित कर रहे । कथा में कलयुग के प्रादुर्भव का वर्णन किया गया। व्यासपीठ की पूजा मन्नुलाल गर्ग, दीपक गर्ग, अनामिका गर्ग एवं परिवार ने की। आरती में समिति अध्यक्ष एवं महापौर प्रतिनिधि दुर्गेश अग्रवाल, राजेश पटेल, रमण शर्मा, शंकरसिंह राजपूत, माखनसिंह राजपूत सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उस्थित थे।