धर्म-अध्यात्म

संस्कारों की शुरुआत गर्भ से हो अभिमन्यु की तरह


देवास। दिगंबर जैन समाज देवास के नवीन जिनालय महावीर धाम पर पंचकल्याणक महा महोत्सव के दूसरे दिन आज गर्भ कल्याणक दिवस के अवसर पर परम पूज्य आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के परम प्रभावी शिष्य मुनि श्री 108 निष्पक्ष सागर जी एवं मुनि श्री 108 निस्पृह सागर जी महाराज ने भगवान के गर्भ कल्याण दिवस का महत्व बताया मुनि श्री ने श्रावकों को समझाया कि आजकल माता-पिता बच्चों को जन्म तो देते हैं पर

संस्कार नहीं बच्चों को धन कमाने की लौकिक शिक्षा तो देते हैं पर धर्म की शिक्षा नहीं, मुनि श्री ने कहा बच्चों में संस्कार तभी विकसित होंगे जब बच्चों में जन्म के पूर्व गर्भधारण करने से ही माता-पिता को बच्चों में गर्भ से ही संस्कार डालना चाहिए इस संदर्भ में मुनि श्री ने अर्जुन सुभद्रा के पुत्र अभिमन्यु का भी उदाहरण दिया जिन्हें गर्भावस्था में ही संस्कारित किया गया था, आजकल अधिकांश माता-पिता बच्चों से संवाद तथा उनकी जिज्ञासाओं का समाधान भी नहीं करते है, जिससे बच्चे भटक जाते हैं और वह अपने दोस्तों एवं अन्य मीडिया से अपनी जिज्ञासाओं का समाधान करते हैं जो कई बार उन्हें गलत रास्ते पर ले जाता है इन दुष्प्रभावों से बचने के लिए माता-पिता को अपने परिवार अपने बच्चों के लिए समय अवश्य निकालना चाहिए और उनसे धर्म चर्चा कर संस्कार विकसित करना चाहिए, अंत में मुनिश्री ने कहा कि एक मां अपने बच्चों को संस्कारित करके तीर्थंकर बना सकती है।

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