माता पिता की सेवा ही ईश्वर की सबसे बड़ी भक्ति है- वंदना श्री

देवास। कैलादेवी मंदिर पर नवरात्रि के सप्तम दिवस कथा उपरांत बृजरत्न वंदना ने भक्त श्रीमान की कथा का सुंदर वर्णन करते हुए भक्त नाभा जी द्वारा लिखी गई 108 भक्तों की कथा का वृतांत सुनाते हुए वर्तमान समय में हमारी संस्कृति के पतन पर चिंतनीय घटनाओं का वर्णन करते हुए कहा कि भक्त नाभाजी ने उन भक्तों की गाथा लिखी है जिन्होंने ईश्वर की भक्ति के साथ माता पिता की सेवा को सर्वोपरि माना है। नाभाजी जन्म से दृष्टिहीन थे घोर अकाल के समय उनका जन्म हुआ। 5 वर्ष की आयु में माता पिता का देहात हो गया। संत श्री बालकदास जी ने उन्हें अपने आश्रम में रखा और भक्ति तत्व का ज्ञान देेते हुए भक्तों की कथा सुनाते। नाभा जी ने किशोरावस्था में भक्त श्रीमान ग्रंथ की रचना की। जिसमें कलयुग के सच्चे भगवान हनुमानजी की कथा, रामचरित मानस के रचनाकार तुलसीदास जी, आदिगुरू शंकराचार्य, भक्त रामदासजी की गाथा, भक्त नामदेव, भक्त पुंडरिक की कथा का वर्णन करते हुए कहा कि भक्त पुंडरिक ने माता पिता की सेवा को ही ईश्वर की भक्ति माना। जिनकी भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं नारायण को उनके घर आना पड़ा उस दोरान पुुंडरिक अपने माता पिता की सेवा कर रहे थे। उन्होंने भगवान से कह दिया कि अभी बाहर ही खड़े रहो, घर में से उन्हें एक ईट लाकर दी जिस पर भगवान को खड़ेे रहने के लिये मजबूूर कर दिया। भगवान विष्णु आज भी पुंडरीनाथ के रूप में एक ईट पर खड़े हैं। यह माता पिता की सच्ची सेवा का प्रताप है कि ईश्वर उस भक्त के अधीन हो जाते है जो माता पिता की सेवा करता है। वंदना श्री ने इस कथा के उद्देश्य को प्रकट करतेे हुए कहा कि आज के दौर में माता पिता का दर्जा घटता चला जा रहा है। मोबाईल के इस युग में बच्चों के संस्कारों का पतन हो रहा है, यह हमारी संस्कृति और राष्ट्र का पतन है। बच्चों के भविष्य को उज्जवल करना है तो प्रत्येक माता पिता को रात्रि में सोने के पूर्व किसी एक भक्त की कहानी या महापुरूषों की कहानी सुनाना चाहिये। यह ज्ञान उसकी चेतना और बुद्धि का विकास करेगी। हम बच्चे का भविष्य संवारने की कोशिश करते है तो इस कोशिश में अगर इस संस्कृति को अपनाएंगे तो बच्चा अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाएगा। आज जब भी कोई छोटी घटना होती है तो बच्चा मां को याद करता है, और बड़ी घटना होती हैै तो पिता को याद करता है। अर्थात बच्चे के मन में श्रेष्ठ गुरू और सर्वोपरि माता पिता होते है। भक्तमाल की कथा यही सिखाती है। कथा में आयोजक मन्नुलाल गर्ग, दीपक गर्ग, अनामिका गर्ग, प्राची गर्ग, हितेश गर्ग एवं कैलादेवी उत्सव समिति ने वंदना श्री सहित रासलीला के समस्त कलाकारों का सम्मान किया। संचालन चेतन उपाध्याय ने किया तथा आभार जयेश गर्ग ने माना। इस अवसर पर अंतर्राष्ट्रीय आध्यात्मिक प्रवक्ता इंदरसिंह नागर विशेष रूप से उपस्थित थे। बड़ी संख्या में महिला एवं पुरूषों ने भक्तमाल की कथा का श्रवण किया।
हनुमान जयंती पर होगी महाआरती
कैलादेवी मंदिर पर स्थापित मंशापूरण वीर हनुमाजी का 12 अप्रेल को हनुमान जयंती पर अनुष्ठान पूजन के साथ सायंकाल 6 बजे महाआरती का आयोजन रखा गया है। सेठ मन्नुलाल गर्ग एवं कैलादेवी मंदिर उत्सव समिति संयोजक रायसिंह सेंधव, राजेश यादव, रमण शर्मा, दीपक गर्ग, ओ.पी. दुबे, देवकृष्ण व्यास, मोहन श्रीवास्तव आदि ने महाआरती को सफल बनाने की अपील की।

