देवास

मध्यप्रदेश का प्रांतीय निरंकारी संत समागम जबलपुर की धरा पर हुआ


परमात्मा के प्रति हमारी भावना और विश्वास स्थिर रहने चाहिए – निरंकारी सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज
देवास। संत निरंकारी मिशन के तत्वावधान में जबलपुर में एक भव्य निरंकारी संत समागम का आयोजन हुआ, जिसमें मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ से हजारों श्रद्धालु भक्तों एकत्रित हुए। यह दिव्य आयोजन सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज और निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में सम्पन्न हुआ, जो अपने साथ आध्यात्मिकता, प्रेम और विश्वबंधुत्व का संदेश लेकर आया।
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि परमात्मा के प्रति हमारी भावना और विश्वास स्थिर रहने चाहिए, जैसे समुद्र की लहरें किनारों को नहीं डुबा पातीं। उन्होंने समझाया कि हमें दूसरों की कमियों के बजाय उनके गुणों को देखना चाहिए और उनके लिए दुआ करनी चाहिए, तभी मानवता में सच्चा प्रेम उत्पन्न होगा। भक्ति किसी विशेष समय या स्थान की मोहताज नहीं, यह हर पल, अकेले या परिवार के साथ, कहीं भी की जा सकती है बस परमात्मा को हमेशा प्राथमिकता देने की भावना होनी चाहिए। उन्होंने उदाहरण देकर कहा कि जैसे अगर हम किसी पर गर्म कोयला फेंकते हैं तो पहले हमारे ही हाथ जलते हैं, वैसे ही किसी को दुख देने की सोच हमारे लिए ही हानिकारक बनती है। इंसान अपनी सोच और कर्मों से फरिश्ता भी बन सकता है और दानव भी, जैसे एक ही चाकू डॉक्टर के हाथ में जीवनदायी होता है और दुष्ट के हाथ में विनाशकारी।
निरंकारी राजपिता रमित जी ने अपने विचारों में कहा कि परमात्मा को सीमाओं में नहीं बाँधा जा सकता, वह केवल मंदिर, मस्जिद या तीर्थों तक सीमित नहीं बल्कि सर्वत्र व्याप्त हैं। उन्होंने कहा कि इंसान अक्सर परमात्मा को बाहरी रूपों में खोजता है, गुफाओं या पहाड़ों में ढूँढ़ता है, जबकि परमात्मा तो हमारे चारों ओर और भीतर भी विद्यमान हैं। राजपिता जी ने बताया कि ब्रह्मज्ञान प्राप्त करने के बाद इंसान जात-पात, अहंकार और मैं-मेरी के भ्रम से मुक्त होकर विनम्रता, समर्पण और सेवा के भाव में जीवन जीता है।
मीडिया सहायक विनोद गज्जर ने बताया कि इस संत समागम में भजन, कविताओं और महात्माओं के प्रेरणादायक विचारों की प्रस्तुतियों ने वातावरण को भक्ति-रस से सराबोर कर दिया। भक्तजन इन भावनात्मक प्रस्तुतियों से भावविभोर हो उठे। आयोजन के दौरान लंगर, चिकित्सा सेवा, पार्किंग और अन्य व्यवस्थाएं अत्यंत सुचारु रूप से संचालित की गईं, जिसमें स्थानीय प्रशासन का सराहनीय सहयोग रहा।
देवास मुखी किशनलाल ने बताया कि समागम से पूर्व दो दिवसीय निरंकारी यूथ सिम्पोजियम का भी आयोजन किया गया। इस आयोजन में युवाओं को आध्यात्मिकता से जुड़ने, सकारात्मक सोच अपनाने और सेवा की भावना विकसित करने हेतु प्रोत्साहित किया गया। खेल, सांस्कृतिक कार्यक्रमों एवं छह आध्यात्मिक तत्वों पर आधारित इस सारगर्भित विचार-सत्रों ने युवाओं को आत्मचिंतन, संतुलित जीवनशैली और उद्देश्यपूर्ण सोच की दिशा की ओर प्रेरित किया। इसमें उज्जैन के भक्तों की भी प्रस्तुति उल्लेखनीय रही। समागम के समापन अवसर पर जबलपुर के जोनल इंचार्ज नवनीत नागपाल ने सतगुरु माता जी एवं निरंकारी राजपिता जी का हृदय से आभार प्रकट किया। इसके साथ ही समागम में सम्मिलित हुए सभी संतों, युवाओं और स्थानीय प्रशासन के समर्पित सहयोग के लिए भी धन्यवाद प्रकट किया। जोनल इंचार्ज राजकुमार गंगवानी ने बताया कि निःसंदेह यह संत समागम न केवल एक आध्यात्मिक मिलन था, बल्कि सेवा, समर्पण और प्रेम की भावना से परिपूर्ण एक दिव्य संगम था, जिसने हर हृदय को आत्मिक शांति और आनंद से भर दिया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button