देवास

देवास में शिक्षा माफिया का आतंक: पालकों की जेब पर डाका, प्रशासन मौन


देवास। शिक्षा विभाग एवं निजी शिक्षण संस्था की सांठगांठ से शिक्षा के मंदिर अब व्यवसायीकरण के केंद्र बनते जा रहे हैं। देवास में शिक्षा माफिया की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं कि स्कूल और उनसे जुड़ी दुकानें अब बच्चों की पढ़ाई के नाम पर पालकों को लूट रही हैं। शिक्षण सामग्री से लेकर यूनिफॉर्म, जूते और बैग तक, सब कुछ पालकों को मनमाने दामों पर खरीदने के लिए मजबूर किया जा रहा है। वह भी शहर की कुछ निर्धारित दुकानों से ही।
नेशनल यूनिटी ग्रुप संस्थापक अनिल सिंह ठाकुर ने एक प्रेस विज्ञप्ति में बताया कि शहर के कई निजी स्कूलों ने कुछ दुकानों से सांठगांठ कर पालकों को वहीं से किताबें और ड्रेस खरीदने का फरमान सुना दिया है। ये दुकानें सामान्य बाजार से कई गुना अधिक कीमत पर सामग्री बेच रही हैं। किसी भी पालक को यह विकल्प नहीं दिया जाता कि वे अन्यत्र से सस्ती सामग्री खरीद सकें। नतीजा यह है कि सामान्य मध्यमवर्गीय परिवारों की जेब पर एक बड़ा आर्थिक बोझ पड़ रहा है।
शिक्षा का व्यापार बनता जा रहा है स्कूलों का मकसद
         पहले जहां शिक्षा एक सेवा मानी जाती थी, अब वह एक मुनाफाखोरी का जरिया बन गई है। निजी स्कूलों द्वारा एक तय दुकान से ही सामान खरीदने की अनिवार्यता पालकों की आजादी छीन रही है। मनमानी दरों पर सामग्री बेचकर शिक्षा माफिया और संबंधित स्कूल मोटा मुनाफा कमा रहे हैं।
प्रशासन की कार्रवाई नाकाफी, शिक्षा माफिया बेखौफ
        कुछ समय पहले तहसीलदार सपना शर्मा ने संघवी स्टोर्स पर महंगे दामों पर शिक्षण सामग्री बेचने के मामले में कार्रवाई की थी। लेकिन यह कार्रवाई भी शिक्षा माफिया की जड़ों को हिला नहीं पाई। आज भी वही दुकानदार, वही सिस्टम और वही लूट का सिलसिला बदस्तूर जारी है।
छात्र संगठनों की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
        एनएसयूआई और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद जैसे छात्र संगठन, जिनकी जिम्मेदारी है कि वे छात्रों और उनके परिवारों की आवाज़ बनें, इस गंभीर मुद्दे पर अब तक मूकदर्शक बने हुए हैं। उनकी निष्क्रियता पर जनता सवाल उठाने लगी है। अब समय आ गया है जब इन संगठनों को राजनीतिक बयानबाज़ी से आगे बढक़र ज़मीन पर कुछ करना होगा।


पालकों में आक्रोश, सरकार से कड़े कदमों की मांग
         देवास के कई पालकों का कहना है कि यदि जल्द ही शिक्षा माफिया पर लगाम नहीं लगाई गई, तो वे बड़े पैमाने पर आंदोलन छेड़ेंगे। उनका आरोप है कि शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारी जानबूझकर आंख मूंदे हुए हैं, जिससे माफिया को और अधिक ताकत मिल रही है।
           नेशनल यूनिटी ग्रुप संस्थापक अनिल सिंह ठाकुर, सुनील सिंह ठाकुर, हटेसिंह दरबार, जयसिंह ठाकुर, ठा. प्रकाश मामा, सत्यराज सिंह ठाकुर, सीताराम योगी, लक्ष्मण सिंह ठाकुर, अभिषेक सोनी, सुभाष वर्मा, गुडु मसाले, रवि ठाकुर, यश सोनी, रफीक पठान सहित शहर के पालकगणो ने कलेक्टर से मांग की है कि शीघ्र ही मामले को संज्ञान मेें लेकर शिक्षा का हो रहे व्यवसायीकरण पर रोक लगाने हेतु उचित कार्यवाही कर शिक्षण सामग्री की दरों पर नियंत्रण लगाया जाए। सभी स्कूलों को किसी एक दुकान से सामान खरीदने की अनिवार्यता खत्म करने के निर्देश दिए जाएं। शिक्षा सामग्री की बिक्री में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाए। दोषी स्कूल प्रबंधन और दुकानदारों पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए। छात्र संगठनों को ज़मीन पर उतर कर विरोध दर्ज कराना चाहिए। यदि शीघ्र ही इन शिक्षा माफियाओं पर कार्यवाही नही होती है तो संगठन कठोर कदम उठाएगा।

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