पुत्र वह है जो अपने पितरों को मुक्ति प्रदान कर दे – बृज रत्न वंदना श्री

देवास। गुरु ही ज्ञान का प्रकाश है गुरु की कृपा के बिना जीवन का अंधकार नष्ट नहीं हो सकता। जीवन में जब भी घोर आपत्ति आती है तब गुरु का मार्ग दर्शन हमे सही दिशा दिखता है। महर्षि व्यास ने श्रीमद भागवत में लिखा है कैसा भी कष्ट हो नारायण कवच का पाठ करने हर प्रकार के कष्ट से मुक्ति मिल जाती है। मंत्रों की त्रुटि अनिष्ट का रूप लेती है एक बार इंद्र यज्ञ करवाया जिसमे वैद मंत्रों की छोटी सी अशुद्ध की आहुति के वृत्रासुर नामक राक्षक का अवतरण हो गया। जिसने देवता लोक पर आक्रमण कर देवों का परास्त कर दिया तब देवताओं ने अपने गुरु महर्षि दधीचि की शरण में गए गुरु दधीचि ने अपने शरीर की अस्थि प्रदान करते है जिससे इंद्र ने वज्र बनाकर वृतासुर का नाश किया। गुरु आपने शिष्यों के लिए ज्ञान के प्रकाश के साथ जीवन भी न्योछावर कर देते। भगवान की प्राप्ति तप ओर बेर दोनों से होती है। देवताओं ने भागवत कृपा और प्रेम के लिए किया। असुरों ने बेर भाव लिए भागवत कृपा को प्रात किया मगर बेर भाव के कारण भगवान उनका विनाश किया। हिरण्यकश्यप ने ब्रह्म की तपस्या कर न मरने का वरदान मांगा और देवताओं को अपना दास बना लिया। किंतु जब हिरणाकश्यप की पत्नी के गर्भ में पुत्र प्रह्लाद आए तब गुरु देवर्षि ने प्रह्लाद की माता को गुरु मंत्र देकर नारायण जाप करने को कहा , प्रह्लाद जब मां के गर्भ में थे तब नारायण की भक्ति ज्ञान प्राप्त हो गया था । कहते है कि बालक जब गर्भ में रहता है मां के आचरण सद व्यवहार और भक्ति का प्रभाव बालक के संस्कार बन जाते भक्त प्रह्लाद की हमे यही सिखाती है। जब भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद के पिता दुष्ट हिरणाकश्यप का वध कर दिया तब भगवान नरसिंह ने प्रह्लाद को वरदान मांगने को कहा तो प्रह्लाद भगवान से अपने पिता की मुक्ति का वरदान मांगा। पुत्र वही है जो अपने पितरों को मुक्ति प्रदान कर दे। यह आध्यात्मिक विचार चैत्र नवरात्रि पर केला देवी मंदिर में हो रही भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर बृज रत्न वंदना श्री ने व्यक्त करते हुए कहा। कथा में समुद्र मंथन की कथा, ग्राह वध गज उद्धार की कथा। दानी राजा बलि और वामन अवतार की कथा। लीला मय भागवत कथा में हर प्रसंग का बृज के कलाकारों ने सजीव अभिनय कर श्रोता को भाव विभोर कर दिया। सूर्य वंश की कथा, प्रभु श्री राम जन्म का चित्रण कर प्रभु राम की लीला का सुंदर चित्रण किया। यदुवंश की कथा का वर्णन कर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा के लीला को देख कर श्रोता बधाई गीत गाते हुए झूमने लगे। व्यास पीठ की पूजा मन्नूलाल गर्ग, दीपक गर्ग, हितेश गर्ग, नंदु दरबार, शंकरलाल अग्रवाल एवं कांता देवी अग्रवाल ने की। आरती में ओ पी तापडि़या, माखनसिंह राजपूत, रमेश महाजन, राजेश पटेल, रामबाबू शर्मा, शंकरसिंह राजपूत, अंकेश सिंघल ,ताराचंद सिंगल इंदौर, में उपस्थित थे। बड़ी संख्या में श्रोताओं की उपस्तिथि के कारण कथा पंडाल छोटा पड़ा सैकड़ों श्रोता खड़े रह कर कथा का श्रवण एवं लीला का आनंद ले रहे थे। कथा का संचालन चेतन उपाध्याय ने किया।